यज्ञ का विद्युतीय एवं चुम्बकीय विकिरणों पर क्या प्रभाव होता है?
- Brijesh Kumar
- Jan 3, 2021
- 3 min read
Updated: Jan 5, 2021
आज एक ऐसा समय है जब हम अपने जीवन का एक भी दिन सेल फोन, लैपटॉप, टैबलेट, टेलीविजन इत्यादि जैसे उपकरणों के बिना सोच नहीं सकते हैं। वास्तविकता यह है कि आज हम इन रेडिएशन्स के महासागर में रह रहे हैं। ये सभी उपकरण इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक रेडिएशन्स निकालते हैं जो कि मनुष्यों के लिए हानिकारक होते हैं। इनसे कैंसर सहित कई हानिकारक प्रभाव शरीर में पैदा होते हैं।
यू एन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने 13 देशों से आंकड़ों को एकत्रित करके शोध किया तो यह पाया कि 10 से अधिक वर्षों के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले लोगों में मस्तिष्क व गर्दन के कैंसर का खतरा बढ़ गया था ।
यज्ञ, हानिकारक ब्रह्मांडीय तरंगों से बचाने के लिए, भारतीय शास्त्रों में सुझाया गया एक सशक्त समाधान है। अत: देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के अंतर्गत यज्ञोपैथी टीम ने अनेक प्रयोग किए जिनमें, अलग-अलग स्थानों पर मौजूद रेडिएशन यज्ञ के पहले और बाद में मापे गए। इनमें पाया गया कि पर्यावरण मंत्रो द्वारा आहुति के बाद, पहले के मुकाबले रेडिएशन के स्तर में काफी कमी आई थी। आइये कुछ प्रयोगों के नतीजों को देखें:
प्रयोग - 1
दिल्ली के विकासपुरी इलाक़े में एक घर में जब यज्ञ किया गया तो देखा गया कि मोबाइल से 5 इंच की दूरी पर जो विकिरण 1.1 µT (micro Tesla) थे, यज्ञ के 30 मिनट पश्चात वो घट कर शून्य हो गए। इस प्रयोग के आकड़ें सारिणी संख्या - 01 में दिये गए हैं।

सारिणी संख्या - 01
प्रयोग - 2
इसी प्रकार जनवरी, 2018 में विपिन गार्डन एक्सटैन्शन में खुले में एक 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ हुआ। वहाँ पर यज्ञ स्थल से 50 मी. की दूरी पर आँकड़े लिए गए। यज्ञ के पूर्व चुम्बकीय विकिरण 16 µT था, जैसे ही आहुतियाँ पड़नी प्रारंभ हुईं, 2 मिनट के बाद ये देखते ही देखते घटना शुरू हुआ और कुछ ही सेकण्ड्स में शून्य हो गया, उसके बाद शाम तक शून्य ही रहा।
प्रयोग - 3
यज्ञोपैथी टीम द्वारा गुरुग्राम में किए एक प्रयोग में देखा गया कि सिर्फ गायत्री व महामृत्युंजय मंत्रो की आहुति द्वारा यज्ञ करने के पश्चात भी रेडिएशन्स में कमी आयी।
प्रयोग के नतीजे ग्राफ - 1 में दर्शाएँ गए है।

ग्राफ - 1
इस प्रयोग में स्रोत से 3’, 6’, 9’ एवं 12’ की दूरी पर यज्ञ के पहले और बाद में रेडिएशन
का आकलन किया गया और देखा गया कि यज्ञ के पहले के मुकाबले, बाद में रेडिएशन्स में काफी कमी आयी। 24 घंटे बाद भी यहाँ पर रेडिएशन की मात्रा में 3 फिट पर 54% एवं 12 फिट पर 77% कि कमी थी, हालांकि यहाँ पर किसी भी समय व किसी भी दूरी पर विकिरण शून्य नहीं देखे गए।
प्रयोग - 4
एक अन्य प्रयोग में दिल्ली स्थित गौतम नगर में यज्ञ में गायत्री व महामृत्युंजय मंत्रों के साथ पर्यावरण संशोधन मंत्रो की भी आहुतियाँ दी गयी और उसके कारण वहाँ विकिरण में काफी कमी आयी जो कि आप निम्न ग्राफ - 2 में देख सकते है।
सुबह, दोपहर और शाम के समय लिए गए आँकड़े दर्शाते हैं कि यहाँ पर एक दिन पहले सुबह के मुकाबले शाम को रेडिएशन अधिक थे जो कि यज्ञ करने के बाद अगले दिन कम होते चले गए और शाम को लगभग शून्य हो गए।

ग्राफ - 2
ये और ऐसे ही अनेक प्रयोगों द्वारा सिद्ध होने पर ये कहा जा सकता है कि यज्ञ करने से हानिकारक रेडिएशन्स में कमी आ जाती है जिसका प्रभाव कुछ घंटों से लेकर एक दिन तक भी बना रहता है।
इन परिणामों को देखते हुए आज आवश्यकता है, हमें इस पारम्परिक यज्ञ ज्ञान पर गंभीरता से शोध करने की तथा इसके मानक स्थापित करने की।
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